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तरावड़ी में सम्राट पृथ्वीराज चौहान को समर्पित शोध संस्थान व स्मारक की स्थापना आवश्यक : डॉ. चौहान

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करनाल। तरावड़ी स्थित सम्राट पृथ्वीराज चौहान के किले के अवशेष ऐतिहासिक, पुरातत्विक और भावनात्मक महत्व रखते हैं। इस स्थल का पुरातत्व की दृष्टि से संरक्षण और जीर्णोद्धार जल्द से जल्द प्रारंभ होना चाहिए। साथ ही तरावड़ी में सम्राट पृथ्वीराज चौहान को समर्पित शोध संस्थान व स्मारक की स्थापना का बरसों से लंबित कार्य भी बगैर देरी के प्रारंभ होना आवश्यक है। हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने तरावड़ी किला परिसर का दौरा करने के बाद यहां जारी एक विज्ञप्ति में यह बात कही।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि प्रस्तावित स्मारक व शोध केंद्र के संबंध में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की घोषणा को अमल में लाने के मार्ग की बाधाओं को जल्द से जल्द दूर करने के प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस संबंध में जिला प्रशासन आला अधिकारियों के साथ विमर्श के बाद वह स्वयं मुख्यमंत्री को तथ्यों से अवगत कराते हुए उनसे हस्तक्षेप के लिए अनुरोध करेंगे। किला परिसर के दौरे के दौरान राजपूत सभा करनाल के प्रेस सचिव डॉ. एन. पी. सिंह भी मौजूद थे।

डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि तरावड़ी के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करने, किले के संरक्षण की दिशा में क्षेत्र के लोगों को जागरूक करने और स्मारक निर्माण की अवधारणा को धरातल पर उतारने के कार्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन प्रांत-संघचालक, पद्म भूषण से अलंकृत स्वर्गीय दर्शन लाल जैन की अहम भूमिका रही। उन्होंने योद्धा स्मारक समिति के माध्यम से इस विषय को अनेक अवसरों पर प्रभावी ढंग से उठाया। डॉ. चौहान ने कहा कि तरावड़ी में स्मारक का निर्माण सम्राट पृथ्वीराज चौहान समेत देश के योद्धाओं को सच्ची श्रद्धांजलि होगा और यह कार्य कर राज्य सरकार सरस्वती नदी शोध संस्थान की स्थापना सहित अनेक महत्वपूर्ण कार्य करने वाले स्व. दर्शन लाल जैन का अधूरा सपना भी साकार करेगी।

डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि वह स्वयं योद्धा स्मारक समिति और जनाधिकार चेतना मंच के माध्यम से ऐतिहासिक स्थल की और तरावड़ी नगर की गरिमा बहाल करने के संघर्ष के साथ बरसों से जुड़े हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि इलाके के लोगों का यह अधूरा सपना राज्य सरकार जल्द साकार करेगी और यहां बनने वाला स्मारक व शोध केंद्र आने वाली पीढ़ियों के लिए ही नहीं अपितु वर्तमान युवा शक्ति के लिए भी रचनात्मक ऊर्जा का केंद्र बनकर उभरेगा।

काटजू नगर की समस्याओं का भी होगा समाधान

सम्राट पृथ्वीराज चौहान के किले के देशों का अवलोकन करने पहुंचे भाजपा प्रवक्ता किले में बसने वाले काटजू नगर के स्थानीय निवासियों से भी बातचीत की। इस अवसर पर बुजुर्ग निहालचंद ने बताया कि सभी किलावासियों को नगर पालिका की ओर से संपत्ति कर के किस भेजे गए हैं उनमें ₹600 यूजर चार्ज के नाम से जोड़े गए हैं। स्थानीय निवासी काफी पड़ताल करने के बाद भी इस नए कर का अर्थ समझ नहीं पाए हैं। इस पर डॉ वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि वे स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों से विमर्श कर इस मामले की तह में जाने का प्रयास करेंगे। उन्होंने पूर्व विधायक भगवान दास कबीरपंथी से भी इस मामले में हस्तक्षेप के लिए अनुरोध किया।

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कबीर आज भी प्रासंगिक : डॉ. चौहान

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जयंती पर ग्रंथ अकादमी व रेडियो ग्रामोदय की ओर से दोहा पाठ का आयोजन

करनाल / पंचकुला । संत कबीर दास के कालखंड में विभिन्न सामाजिक विडंबनाएं मौजूद थीं। संत कबीर में अपनी रचनाओं के माध्यम से समकालीन सत्ता एवं व्यवस्थाओं को चुनौती देने का सामर्थ्य था और उन्होंने ऐसा ही किया। कबीर के कार्यों, चिंतन, व्यक्तित्व एवं उनकी रचनाओं में अध्यात्म की गहराई और ऊंचाई थी। उन्होंने निर्भीक होकर तत्कालीन सत्ताधीशों एवं शक्तिशाली वर्ग को चुनौती देने का काम किया। एक साहित्यकार से अपेक्षा भी यही होती है कि वह अपनी रचनाओं से सामाजिक विडंबनाओं एवं विकृतियों पर प्रहार करे। कवियों – साहित्यकारों पर अपने समाज को दिशा देने का भी दायित्व है। हर कवि के अंदर कबीर होने के तत्व मौजूद होते हैं। समाज को सचेत करने के लिए उस सामर्थ्य को जगाना होगा।

उपरोक्त विचार हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ वीरेंद्र सिंह चौहान ने संत कबीर दास की जयंती पर आयोजित दोहा पाठ के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने इस आयोजन के सभी प्रतिभागियों को हरियाणा ग्रंथ अकादमी की ओर से आभार प्रकट करते हुए उनसे अपने-अपने दौर का कबीर बनने का आह्वान किया और कहा कि कबीर बनने पर कोई रोक नहीं है।

ग्रंथ अकादमी और रेडियो ग्रामोदय के संयुक्त तत्वावधान मैं आयोजित इस दोहा पाठ का संचालन कवियित्री नीलम त्रिखा ने किया। उन्होंने कार्यक्रम की कमान संभालते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि कबीर दास एक बहुत बड़े समाज सुधारक और ईश्वर भक्त थे। उनके अंदर स्वाभिमान कूट- कूट कर भरा था। अपनी रचनाओं से उन्होंने मनुष्यों को सारे भेद मिटाकर मानव मात्र के लिए एकजुट हो जाने का संदेश दिया है। इस अवसर पर उन्होंने एक प्रेरक पंक्ति का भी उल्लेख किया — मात-पिता के हाथ ज्यूं, ज्यू बरगद की छांव
क्यों जन्नत को खोजता, जन्नत उनके पांव।

कार्यक्रम का शुभारम्भ श्री मद्भागवत गीता वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के सातवीं कक्षा के छात्र यजुर कौशल के द्वारा संत कबीर के दोहों के सुमधुर सस्वर पाठ के साथ हुआ ।

दोहा पाठ की शुरुआत डॉ. अश्विनी शांडिल्य ने अपनी स्वरचित रचनाओं से की। उन्होंने गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए कहा, —

अथाह समुद्र है ज्ञान का, माणिक छिपे अनेक
क्या है तेरे काम का, गुरु बतलाए एक।
गुरु प्रकाश स्तंभ है, पथ को करें प्रशस्त
ज्योति ज्ञान की जल उठे, अंधकार हो पस्त।

उनके बाद चंडीगढ़ से जुड़ी संगीता शर्मा ने अपने भावों को कुछ यूं व्यक्त किया, –

श्याम बजाए बांसुरी, मन का यह चितचोर
प्रेम लगन की धुन बजी, नाचे मन का मोर।

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आचार्य अभिनवगुप्त से आमजन को अवगत कराना जरूरी

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विचार गोष्ठी में अभिनव गुप्त के व्यक्तित्व व शैव दर्शन पर चर्चा

करनाल । आचार्य अभिनवगुप्त जैसे विराट व्यक्तित्व वाले विद्वान एवं उनके अद्भुत शैव दर्शन के प्रति आज की युवा पीढ़ी का अनभिज्ञ होना अत्यंत दुख एवं चिंता का विषय है। आचार्य अभिनवगुप्त ही नहीं, उनके अलावा भी ऐसे कई विश्व स्तरीय मनीषी एवं विचारक हैं जिनके बारे में आज की युवा पीढ़ी को कोई जानकारी नहीं है। जनसाधारण और खासकर आज की युवा पीढ़ी को आचार्य अभिनवगुप्त के व्यक्तित्व एवं उनके जीवन दर्शन को समझना बहुत जरूरी है। ऐसे महापुरुषों की जीवनी पर छोटी पुस्तकों की एक श्रृंखला शुरू होनी चाहिए। मुख्यमंत्री श्री मनोहरलाल की अध्यक्षता में कार्य करने वाली हरियाणा ग्रंथ अकादमी ऐसे महापुरुषों के जीवन और दर्शन पर आधारित परिचयात्मक पुस्तकमाला प्रकाशित करने की योजना बनाएगी। इस शृंखला में पहली पुस्तक आचार्य अभिनव गुप्त के व्यक्तित्व और कार्यों को समर्पित होगी। यह टिप्पणी हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ.वीरेंद्र सिंह चौहान ने आचार्य अभिनवगुप्त की जयंती पर आयोजित राष्ट्रीय विचार गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए की।

गोष्ठी के दौरान कई वक्ताओं एवं कश्मीरी विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किए। गोष्ठी की शुरुआत करते हुए जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के संस्कृत एवं प्राच्य विद्या अध्ययन संस्थान के डॉ. रजनीश मिश्रा ने कहा कि विश्व भर का शिक्षित समुदाय जिस देश को सबसे ज्यादा पसंद करता है, वह भारत देश ही है। यह भारत की ज्ञान मूलक संस्कृति की विशेषता है। यह संस्कृति आत्मा को अभिमुख करने एवं स्वयं को अपने आप से साक्षात्कार कराने का ज्ञान देती है। इस संस्कृति में कुछ ऐसे भी प्रश्न पूछे जाते रहेंगे जो अन्य संस्कृतियों में मिलना मुश्किल है। जिस ज्ञान की हमें निरंतर खोज है वह मोक्ष देने वाला ज्ञान है। निरंतर इस ज्ञान की खोज में लिप्त रहने के कारण ही इस देश का नाम भारत सार्थक होता है। डॉ. मिश्रा ने कहा कि आचार्य अभिनवगुप्त ने ज्ञान और साधना की सभी धाराओं में लेखन किया।

कश्मीरी विद्वान और नाद पत्रिका के मुख्य संपादक सुनील रैना ने आचार्य अभिनवगुप्त के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आचार्य की चर्चा कश्मीरी शैव दर्शन का उल्लेख किए बिना पूरी नहीं हो सकती। आचार्य अभिनव गुप्त 10 वीं शताब्दी के आसपास आए। विडंबना है कि अभिनवगुप्त के दर्शन को मात्र अकादमिक स्तर तक सीमित कर दिया गया है। उनके जीवन दर्शन को सरल भाषा में परिभाषित करने की जरूरत है ताकि आम लोग भी इसे समझ सकें। कश्मीर शिव शक्ति की भूमि रही है। निर्मल पुराण में कहा गया है कि कश्मीर की भूमि स्वयं पार्वती है। भगवान शिव उनके महेश्वर हैं।

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इतिहास के पुनर्लेखन और शोधन पर हो तेज गति से काम :डॉ. चौहान

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तरावड़ी में प्रस्तावित शोध केंद्र दे सकता है इस कार्य को दिशा
सम्राट पृथ्वीराज चौहान जयंती पर विचार गोष्ठी

करनाल । भारतीय इतिहास के अनेक पक्ष शोधन और पुनर्लेखन की प्रतीक्षा में है। भारत के वामपंथियों और अनेक स्वार्थी विदेशी तत्वों ने हमारे इतिहास के साथ जमकर छेड़-छाड़ की। आज भी हमारी गौरवशाली दास्तानों के अनेक पन्ने और आयाम ऐसे हैं, जो आज तथ्यों और कल्पनाओं की भूलभुलैया में उलझे हुए महसूस किए जा सकते हैं। सम्राट पृथ्वीराज चौहान की जयंती इस अधूरे पड़े कार्य को पूरा करने का संकल्प लेने का पावन अवसर है। हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष एवं निदेशक डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने सम्राट पृथ्वीराज चौहान की जयंती के उपलक्ष्य में अकादमी द्वारा आयोजित विचार गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए यह टिप्पणी की।

उन्होंने कहा कि अकादमी अध्यक्ष और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने करनाल के तरावड़ी में सम्राट पृथ्वीराज चौहान की स्मृति में एक भव्य स्मारक एवं शोध केंद्र के निर्माण की घोषणा की हुई है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के सिरे चढ़ने से ना केवल तरावड़ी के एतिहासिक तत्वों का संरक्षण होगा बल्कि समूचे हरियाणा की शौर्य परंपरा पर व्यवस्थित शोध और लेखन का कार्य प्रारंभ हो सकेगा।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सेवानिवृत्त निदेशक डॉक्टर धर्मवीर शर्मा और क्षत्रीय इतिहास पर कार्य करने वाले बलबीर सिंह चौहान इस विचार गोष्ठी में बतौर वक्ता शामिल रहे। हरियाणा साहित्य अकादमी के पूर्व निदेशक डॉ. पूर्ण मल गोड सहित अनेक विद्वानों की उपस्थिति में ऑनलाइन विचार गोष्ठी में तरावड़ी स्थित सम्राट पृथ्वीराज चौहान के क़िले के अवशेषों को संरक्षित करने के लिए नए सिरे से संगठित प्रयास करने का प्रस्ताव पारित किया गया।

डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा जो देश, समाज या संस्कृति अपने इतिहास को भूल जाता है और अपनी विरासत को संभाल कर नहीं रख पाता, ऐसे देश और संस्कृति का लुप्त हो जाना तय है। दुनिया ने ऐसे कई देशों और संस्कृतियों को मिटते देखा है जिन्होंने अपनी सभ्यता की विरासत को अगली पीढ़ी के लिए संजो कर नहीं रखा। विश्व मानचित्र पर ऐसे देशों का अब नामोनिशान भी बाकी नहीं है। श्रेष्ठ और उन्नत संस्कृति को जीवित दिखना भी चाहिए। इसके लिए अपनी जड़ों से जुड़े रहना अत्यंत आवश्यक है। सनातनी संस्कृति के महान पराक्रमी शासक चक्रवर्ती सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने हरियाणा के तरावड़ी इलाके में कई लड़ाइयां लड़ी। उनके व्यक्तित्व एवं जीवन वृत्त की चर्चा आज और ज्यादा प्रासंगिक हो गयी है।

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