ग्रामोदय

April 2021

अब गांवों में भी पांव पसार रहा कोरोना, सतर्क रहें, भ्रांतियों से बचें : डॉ. चौहान

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रेडियो ग्रामोदय के वेकअप करनाल में कोरोना के लगातार बढ़ते संक्रमण से खुद को बचाने के उपायों पर चर्चा

करनाल। शहरों के बाद अब गांवों को भी कोरोना ने अपनी चपेट में ले लिया है। हरियाणा के ग्रामीण अंचल में महामारी से संक्रमण के मामलों में काफी तेजी आई है। असंध के वरिष्ठ चिकित्सा पदाधिकारी (एसएमओ) ने भी इस बात की पुष्टि की है कि अब करनाल क्षेत्र में भी कोरोना पांव पसार रहा है। इसलिए इससे बचाव के लिए सबको सतर्क रहने और वैक्सीनेशन पर भ्रांतियों से बचने की जरूरत है।

यह विचार हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने व्यक्त किए। वह वीरवार को आयोजित रेडियो ग्रामोदय के वेकअप करनाल कार्यक्रम में गांव रहड़ा के कारोबारी व सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र राणा व कोरोना से निर्णायक जंग जीतकर लौटे बल्ला के राम मेहर शर्मा समेत अन्य ग्रामीणों के साथ कोरोना से बचने के उपायों पर चर्चा कर रहे थे।

डॉ. चौहान ने सभी लोगों से वैक्सीनेशन करवाने की अपील करते हुए कहा कि कोरोना वैक्सीन को लेकर भ्रांतियों से बचें। संक्रमण के लक्षण दिखते ही खुद को घर में आइसोलेट कर लें और जरूरी घरेलू उपचार करें। उन्होंने दो मास्क लगाकर घर से बाहर निकलने पर जोर देते हुए कहा कि मास्क को इस प्रकार लगाएं कि नाक और मुंह अच्छी तरह से सील हो जाए।

चर्चा के दौरान डॉ. चौहान ने जानकारी दी कि करनाल के कल्पना चावला मेडिकल अस्पताल में 30 बिस्तरों वाले कोविड आईसीयू की व्यवस्था की गई है और मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने खुद इसका लोकार्पण किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार अस्पतालों में वेंटिलेटर सुविधा वाले बेड बढ़ाने के लिए प्रयासरत है, हालांकि सभी कोरोना संक्रमितों को वेंटिलेटर की आवश्यकता नहीं है।

इस दौरान नरेंद्र राणा ने बताया कि राहरा में कोरोना के ज्यादा मामले तो नहीं है, लेकिन एक मामला जरूर सामने आया है जिसे अपने रिश्तेदार से संक्रमण हुआ था। उसकी हालत अब ठीक बताई जाती है। नरेंद्र ने बताया कि गांव में ज्यादा मामले सामने ना आने का एक कारण यह भी है कि वहां ज्यादा जांच नहीं करवाई जा रही है। यह चिंता की बात है जो आगे परेशानी खड़ी कर सकता है।उन्होंने बताया कि कोरोना से बचाव में वैक्सीन सबसे ज्यादा कारगर है, लेकिन वैक्सीन को लेकर लोगों में भ्रांतियां हैं। नकारात्मक खबरें भ्रम पैदा कर रही हैं जिनसे नुकसान हो रहा है। नरेंद्र ने लोगों को साबुन, सैनिटाइजर और मास्क का इस्तेमाल करने की सलाह दी।

कोरोना से निर्णायक जंग जीतकर लौटे गांव बल्ला के राम मेहर शर्मा ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि अप्रैल के प्रारंभ में ही वह कोरोना से संक्रमित हो गए थे। रात को बुखार आता था। चार-पांच दिन तक दवा लेने के बावजूद 5 तारीख को सांस लेने में परेशानी होने लगी। ऑक्सीजन का लेवल 50 से भी कम हो गया था। सूचना देने के 20 मिनट के भीतर एंबुलेंस घर पर पहुंचा और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। पिछले साल उनके बेटे को भी संक्रमण हुआ था जो तुरंत ठीक हो गया था। तब इस बीमारी को गंभीरता से नहीं लिया था। जब खुद पर बीती तो गंभीरता का पता चला।

चर्चा के दौरान गांव सालवन से जुड़े एडवोकेट आनंद राणा ने बताया कि सालवन में कोरोना से 2 लोगों की मृत्यु हुई है, जिनमें एक बुजुर्ग और एक 30-32 साल का युवक शामिल है। दोनों ऐसे लोग थे जिन्हें पहले से कोई परेशानी नहीं थी। इसके अलावा कोरोना एक्टिव के भी कई मामले हैं।

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कोरोना पर गाइडलाइंस का करें पालन, दो मास्क लगाएं : डॉ. चौहान

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वैक्सीन लगने के बाद संक्रमण हो भी तो जानलेवा नहीं रहता

रेडियो ग्रामोदय के वेकअप करनाल में वैक्सीन को लेकर भ्रांत धारणाओं और कोरोना से बचाव के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा

करनाल। कोरोना की दूसरी लहर ज्यादा खतरनाक है। इसकी चपेट में लोग आते जा रहे हैं। लेकिन संतोष की बात यह है कि संक्रमण के बाद अब स्वस्थ होने वालों की संख्या निरंतर बढ़ रही है।आवश्यकता इस बात की है कि कोरोना से डरे नहीं, लेकिन सावधान जरूर रहें। सरकारी गाइडलाइंस का पालन करें और वैक्सीन अवश्य लगवाएं। वैक्सीनेशन के बाद संक्रमण होने पर जान जाने का खतरा न के बराबर हो जाता है ऐसा विशेषज्ञों का दावा है।
यह विचार हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने रेडियो ग्रामोदय के वेकअप करनाल कार्यक्रम में कोरोना से जूझकर स्वस्थ हुए डी. ए. वी. कॉलेज करनाल के प्राचार्य डॉ. आर. पी. सैनी और कोरोना मरीज़ों के लिए प्लाज़्मा उपलब्ध कराने में जुटी सामाजिक संस्था के संचालक शुभम गुप्ता के साथ चर्चा में व्यक्त किए।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान और आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय रोहतक के वरिष्ठ चिकित्सकों के हवाले से डॉ. चौहान ने कहा कि वर्तमान दौर में आवश्यकता पढ़ने पर घर से निकलना भी पढ़े तो दो मास्क लगाकर निकलना चाहिए। डॉ. चौहान ने कहा कि वैक्सीन लगवाना कोरोना से बचाव का सबसे कारगर तरीका है। लेकिन दुर्भाग्यवश इसको लेकर कुछ लोग भ्रम फैलाने में लगे हैं। कुछ लोग तो कोरोना महामारी को सरकार का षड्यंत्र बताने से भी नहीं चूकते। उन्होंने बताया कि भारत में अब तक जितने लोगों को कोरोना की वैक्सीन दी जा चुकी है, उसकी संख्या आबादी के लिहाज से यूरोप के कई देशों के बराबर है।

डॉ. चौहान ने कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों से आह्वान किया कि उन्हें अन्य लोगों की जान बचाने के लिए आगे आकर अपना प्लाज्मा डोनेट करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति का प्लाज्मा दान दो लोगों की जिंदगी बचा सकता है। उन्होंने माना कि एनसीआर के गुड़गांव और फरीदाबाद में कुछ समय के लिए अस्पतालों में बेड का संकट उत्पन्न हो गया था, लेकिन इसे तुरंत दूर कर लिया गया।

प्राचार्य डॉ. आर. पी. सैनी ने बताया कि वह और उनकी पत्नी दोनों कोरोना से संक्रमित हो गए थे। पहले हल्का बुखार हुआ, फिर गले में खराश हुई। जांच कराने पर दोनों कोरोना पॉजिटिव निकले। शुरू में तो डर हुआ, लेकिन ईश्वर में आस्था रखते हुए हौसला बनाए रखा। घरेलू उपचार गर्म पानी व काढ़े के अलावा कुछ खास दवाओं के सेवन से चार-पांच दिनों बाद ही सुधार दिखने लगा। डॉ. सैनी ने कहा कि कोरोना पर दुष्प्रचार से बचना चाहिए। बीमारी की गंभीरता को समझें। खुद भी बचें और दूसरों की भी जान बचाएं।

सामाजिक संस्था के माध्यम से रक्तदान के कार्य में जुटे शुभम गुप्ता ने कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी अत्यंत कारगर उपाय है। शुभम ने कहा कि उनकी संस्था ने करनाल ही नहीं अपितु प्रदेश के विभिन्न हिस्सों और दिल्ली तक मरीज़ों को प्लाज़्मा उपलब्ध कराया है।

चर्चा के दौरान जींद से वेदप्रकाश ने जींद ज़िले से सम्बंधित कुछ तथ्य रखें और व्यवस्था को और दुरुस्त बनाए जाने की वकालत की। इस अवसर पर डॉ. चौहान ने जानकारी दी कि पानीपत और हिसार में पांच सौ बिस्तरों वाले दो अस्पतालों का निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर करने के आदेश मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने दिए है और प्रदेश सरकार इसके प्रति अत्यंत गंभीर है।

प्लाजमा डोनेशन कब करें ?

एनजीओ संचालक शुभम गुप्ता ने बताया कि ऑक्सीजन जब चिंताजनक स्तर तक नीचे गिर जाए और रक्तचाप में भी भारी उतार-चढ़ाव होने लगे तो मरीज को प्लाज्मा चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। मरीज़ को प्लाज़्मा का दान कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुका व्यक्ति ही कर सकता है। वैसा व्यक्ति जिसे कोरोना संक्रमण से ठीक हुए कम से कम 28 दिन हुए हों, अपना प्लाज्मा डोनेट कर सकता है। एक बार प्लाज्मा डोनेट करने के 14 दिन के बाद ही व्यक्ति दूसरी बार प्लाज्मा डोनेट कर सकता है। डोनेशन के दौरान प्लाज्मा एक तरफ एकत्र होता है और रक्त के बाकी अवयव वापस दाता के शरीर में लौट आते हैं। 450 एमएल रक्त में 320 एमएल प्लाज्मा होता है।

शुभम गुप्ता के अनुसार उनकी संस्था दिल्ली, गाजियाबाद, मुरादाबाद, करनाल और चंडीगढ़ समेत कई शहरों में प्लाज्मा उपलब्ध करवा चुकी है। उन्होंने जरूरतमंदों की सुविधा के लिए अपना मोबाइल नंबर भी दिया। 7015130620 नंबर पर कॉल कर जरूरतमंद उनसे प्लाज्मा की मदद ले सकते हैं।

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मुंह खुर की बीमारी से बचाने के लिए टीका लगवाएं, चारे में भी करें बदलाव: डॉ. चौहान

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पशुपालन से जुड़े प्रश्नों पर प्रधान वैज्ञानिक डॉ. बृजेंद् से वेकअप करनाल में चर्चा

करनाल। गर्मी के मौसम में पशुओं में मुंह – खुर व गलघोंटू आदि बीमारियों का होना आम बात है। इसलिए पशुपालन व्यवसाय से जुड़े किसान इससे बचाव के लिए अपने दुधारू पशुओं को इसका टीका अवश्य लगवाएं। अप्रैल और मई का महीना पशुओं के टीकाकरण का सबसे उपयुक्त समय है। इसके साथ ही उनके चारे में भी थोड़ा बदलाव करना जरूरी है। गर्मी आते ही हरे चारे की कमी हो जाती है। ऐसी स्थिति में उनके चारे में दनीर या दाने की मात्रा बढ़ानी चाहिए। दाने में गेहूं और जौ की मात्रा बढ़ाना आवश्यक है। हरे चारे में मक्का लोबिया या ज्वार लोबिया को शामिल करना चाहिए।

उक्त जानकारी करनाल स्थित राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. बृजेश मीणा ने दी। वह मंगलवार को रेडियो ग्रामोदय के कार्यक्रम ‘वेकअप करनाल’ में पशुपालन, डेयरी व्यवसाय एवं पशुओं की देखभाल से जुड़े विषयों पर हरियाणा ग्रंथ अकादमी उपाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान से चर्चा कर रहे थे। इस दौरान पशुओं की नस्ल सुधारने से लेकर उनके रखरखाव तक कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई।

डॉ. चौहान ने कहा कि पशुपालन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण अनुसंधानों के लिए एनडीआरआई देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी विख्यात है और यह लगातार चार वर्षों से देश के कृषि विश्वविद्यालयों में शीर्ष स्थान पर है। उन्होंने पशुपालन और खेती के तौर तरीकों में निरंतर बदलाव करते रहने का सुझाव दिया।

एनडीआरआई के कार्यों के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए डॉ. मीणा ने बताया कि यह एक डीम्ड विश्वविद्यालय है जहां पशुपालन से जुड़े विभिन्न विषयों पर कोर्स करवाए जाते हैं और इच्छुक किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इसके लिए किसानों से फीस के तौर पर कुछ धनराशि भी ली जाती है। संस्थान में प्रशिक्षण के लिए रहने – खाने से लेकर अन्य सभी आवश्यक सुविधाएं न्यूनतम शुल्क पर उपलब्ध कराई जाती हैं।

डॉ. बृजेश मीणा ने बताया कि संकर प्रजाति के पशु तैयार करने और उनकी नस्ल सुधारने में एनडीआरआई का विश्व भर में नाम है। वर्ष 1991 में इस संस्थान ने विश्व का पहला टेस्ट ट्यूब बेबी बफेलो (भैंस) पैदा करने का श्रेय प्राप्त किया था। संस्थान की ओर से पशुओं की नस्ल सुधारने के लिए अनुसंधान कार्य निरंतर जारी है। वर्ष 2008 में क्लोनिंग की दिशा में भी कदम बढ़ाया गया और विश्व की पहली क्लोन भैंस भी यहीं तैयार की गई। संस्थान के निदेशक डॉ. एम एस चौहान के नेतृत्व में टीम ने क्लोनिंग पर अनुसंधान शुरू किया था।

डॉ. मीणा ने बताया कि एनडीआरआई की स्थापना 1 जुलाई 1923 को बेंगलुरु में हुई थी जिसे 1955 में करनाल मुख्यालय में स्थापित किया गया। यहां बीटेक, एमएससी और पीएचडी के कोर्स करवाए जाते हैं और कोर्स पूरा होते ही नौकरी मिल जाती है। संस्थान में करीब 25 कर्मचारी हैं और दो हजार के करीब उन्नत नस्ल की गाएं और भैंसें हैं।

डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने चर्चा के दौरान पशुओं के रखरखाव और उनके चारे से संबंधित सुझाव मांगे तो डॉ. मीणा ने बताया कि पशुओं को दाना और चारा चार-पांच भागों में बांट कर थोड़े-थोड़े अंतराल पर खिलाना चाहिए ताकि यह पशुओं को सुगमता से पच जाए। उन्हें तरल आहार पर्याप्त मात्रा में देना चाहिए और इसके साथ ही 40 – 50 ग्राम मिनरल भी अवश्य देना चाहिए। इसके अलावा पशुओं को सीधी धूप से बचाकर ठंडे स्थानों पर बांधना चाहिए और ताजा पानी पिलाना चाहिए। पशुओं के बांधने की जगह ढलान जैसी हो।

डॉ. चौहान ने डॉ. मीणा से एनडीआरआई के सात दिवसीय कमर्शियल डेयरी फार्मिंग प्रशिक्षण के संबंध में जानकारी मांगी तो डॉ. मीणा ने बताया कि एनडीआरआई में एक बीपीटी यूनिट है जो किसानों को कमर्शियल डेयरी फार्मिंग का प्रशिक्षण देती है। इसके के लिए उनसे बतौर फीस ₹13000 लिए जाते हैं। एक बैच में करीब 25 किसान होते हैं।

डॉ. चौहान ने कहा कि उचित प्रशिक्षण लेकर पशुपालन को एक लाभ का व्यवसाय बनाया जा सकता है। इस पर डॉ. मीणा ने उनका समर्थन करते हुए कहा कि तीन साल के बाद पशुपालन के व्यवसाय में लाभ ही लाभ है।

कमर्शियल डेयरी फार्मिंग में कौन से पशुओं का पालन सबसे उपयुक्त है? डॉ. चौहान के इस सवाल पर डॉ. मीणा ने बताया कि गीर और थारपारकर अच्छी नस्ल की गायें हैं, लेकिन कमर्शियल पशुपालन के लिए काले – उजले रंग की कर्नफ्रीज नस्ल की गायें सर्वाधिक उपयुक्त हैं। इस दौरान एचएफ बनाम साहीवाल नस्ल की गायों पर भी चर्चा हुई। डॉ. मीणा ने बताया कि गीर और साहिवाल नस्ल की गायों का ट्रेंड बढा है और उसकी कीमत भी बढ़ी है।

डॉ. मीणा ने कहा कि उचित समय आने पर गर्भाधान के लिए 16 से 18 घंटे के बीच पशुओं को एक टीका अवश्य लगाना चाहिए और यह कार्य कुशल डॉक्टर के हाथों करवाना ही उचित होगा। सीमेन का टीका लगाते समय अधिकतम 2 से 5 मिनट का समय लगना चाहिए।

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नलकूपों के आवेदक जल्द ही एस्टिमेट के अनुसार पैसा जमा कराए: डॉ. चौहान

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वेक अप करनाल में कार्यकारी अभियंता के साथ बिजली से जुड़े मामलों पर चर्चा

52,00 से अधिक गाँव हो चुके जगमग

असंध। वर्ष 2014 में राज्य में मनोहर सरकार के अस्तित्व में आने के समय चोबीस घंटे बिजली की सुविधा केवल शहरों तक सीमित थी।
ग्रामीण अंचल को भी शहरों की तरह जगमग करने के लिए कि वर्तमान सरकार म्हारा गाँव जगमग गाँव योजना लेकर आयी। इसका परिणाम यह है कि आज प्रदेश के करीब 70 फ़ीसदी गांवों में 24 घंटे उजाला हो रहा है। हरियाणा सरकार की इस योजना से प्रदेश के करीब और 52 सौ से अधिक गांवों में 24 घंटे बिजली की आपूर्ति हो रही है। यह जानकारी हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने दी। वह सोमवार को रेडियो ग्रामोदय के वेकअप करनाल कार्यक्रम में असंध क्षेत्र के उपभोक्ताओं की बिजली संबंधी समस्याओं पर कार्यकारी अभियंता गगन पांडे से चर्चा कर रहे थे।

चर्चा के दौरान डॉ. चौहान ने क्षेत्र के उपभोक्ताओं को सलाह दी कि उन्हें अपना बिजली बिल घटाने के लिए सोलर संयंत्रों का अधिकाधिक इस्तेमाल करना चाहिए और अपने मकानों एवं प्रतिष्ठानों में सौर बिजली संयंत्र स्थापित करना चाहिए। उन्होंने बताया कि प्रदेश के ग्रामीण अंचल में सोलर संयंत्रों के उपभोक्ताओं की संख्या अब भी अपेक्षा से कम है। गांवों में बैटरी आधारित सोलर संयंत्रों की अधिक मांग है।

गगन पांडे ने एक उपभोक्ता के सवाल का जवाब देते हुए बताया कि निसिंग गौशाला पावरलाइन को जल्द निर्माणाधीन गोंदर पावर हाउस से जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि यह पावर हाउस अगले दो महीने में बनकर तैयार हो जाएगा। इसी क्रम में पांडे ने जानकारी दी कि असंध डिवीज़न में अब तीन के बजाय चार सब डिवीज़न होंगी क्योंकि राज्य सरकार ने मंजूरा का सब डिवीज़न को स्वीकृत कर दिया है।

सिंचाई कनेक्शनों का रास्ता खुला

डॉ. चौहान ने कहा कि राज्य सरकार ने वर्ष 2018 तक आवेदन कर चुके किसानों को जल्द ट्यूबवेल के कनेक्शन देने का निर्णय लिया गया है। जो किसान आवेदन के समय 30,000 रुपया की राशि जमा करा चुके उन्हें इस महीने के अंत तक एस्टिमेट के आधार पर बाक़ी राशि जमा कराने के लिए कहा गया है और इस बात के प्रयास किए जाएंगे कि धान के आगामी सीज़न में खेतों को इनका पानी मिल सके।
इस संबंध में गगन पांडे ने स्पष्ट किया कि असंध डिवीज़न के ऐसे 784 आवेदकों को विभाग की ओर से प्रस्तावित लागत के हिसाब से दूसरी किस्त जमा करने का नोटिस भेजा गया है। इनमें से 127 लोगों ने दूसरी किस्त की राशि जमा कर दी है। जैसे-जैसे उपभोक्ताओं की राशि जमा होगी कनेक्शन देने में उन्हें प्राथमिकता मिलेगी।

हेल्प लाइन का करें इस्तेमाल

बिजली की समस्या पर आधारित ‘वेकअप करनाल’ के आयोजन में कार्यकारी अभियंता गगन पांडे ने बताया कि असंध डिवीज़न के बिजली उपभोक्ताओं की समस्या का समाधान करने के लिए क्षेत्र में एक 24* 7 हेल्पलाइन सेवा शुरू की गई है। उन्होंने उपभोक्ताओं को बिजली से संबंधित कोई भी समस्या होने पर हेल्पलाइन नंबर 1912 पर फोन करने की सलाह दी। कार्यकारी अभियंता ने बताया कि इस नंबर पर फोन करने पर डिवीजन में स्थित कंट्रोल रूम को तुरंत इसकी सूचना जाएगी। इसके बाद कंट्रोल रूम में मौजूद विद्युतकर्मी संबंधित उपभोक्ताओं से उनकी समस्या पूछ कर उसका समाधान करेंगे। इस सुविधा का 24 घंटे लाभ उठाया जा सकता है।

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मेरी सखी

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कार्यक्रम : मेरी सखी
समय : बाद दोपहर 03:00 बजे
कार्यक्रम संचालक : आर. जे. सरगम
प्रसारण मोड : सोमवार से शुक्रवार

मेरी सखी महिलाओं से जुड़ा एक कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम को आप रेडियो ग्रामोदय 90.4 एफएम पर प्रतिदिन बाद दोपहर 03:00 बजे से 04:00 बजे तक आर. जे. सरगम के साथ सुन सकते हैं। इस कार्यक्रम में आर. जे. सरगम आपकी जिन्दगी से जुड़े विभिन्न विषयों पर बात करती हैं । आर. जे. सरगम इस कार्यक्रम के माध्यम से आपकी रोजमर्रा की जिन्दगी को आसान बनाने वाली या आप के लिए बेहद जरूरी विषयों से जुड़ी टिप्स आपके साथ साझा करती हैं। कार्यक्रम में आपको बहुत ही प्यारे हिंदी, हरियाणवी गाने भी सुनने को मिलते हैं। इस कार्यक्रम में आप भी अपनी फरमाइश भेज सकते हैं ।

कार्यक्रम में अपनी फरमाइश, सुझाव आदि भेजने के लिए या हमसे जुड़ने के लिए आप हमें काल या व्हाट्सएप कर सकते हैं ।
हमारा नंबर है 8816904904

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आर. ओ. का अनावश्यक उपयोग पानी की बर्बादी का सबब

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वेक अप करनाल में जल संरक्षण और कोरोना के खिलाफ़ संग्राम पर चर्चा की

करनाल। आर. ओ. सिस्टम का अनावश्यक और अव्यवस्थित उपयोग पानी की बर्बादी का सबब बन रहा है। करनाल ज़िले में अधिकांश स्थानों पर पेयजल के लिए आर. ओ. के उपयोग की आवश्यकता ही नहीं है। हम सब को पानी की बर्बादी भी रोकने के लिए हरसंभव उपाय करने की आवश्यकता है। रेडियो ग्रामोदय के कार्यक्रम वेक अप करनाल में ग्रंथ अकादमी उपाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान और रसायनशास्त्री कुंवर अमित सिंह के मध्य हुई चर्चा में यह बिंदु उभरकर सामने आए. कार्यक्रम में ग्रामीण अंचल में जल संरक्षण के कार्य में नई पीढ़ी की भूमिका को लेकर भी विस्तार से चर्चा हुई और कोरोना से निजात के बाद इस दिशा में ग्रामोदय न्यास की अगुवाई में ज़िले में व्यापक अभियान चलाने का संकल्प भी लिया गया। इसके अलावा कार्यक्रम में कोरोना के नए दौर के कारण पैदा हुई स्थितियों पर भी विस्तार से चर्चा हुई.विदित हो कि कुंवर अमित सिंह कोरोना संक्रमण के शिकार हो गए थे और उसे मात देकर कुछ ही दिनों पहले काम पर लौटे हैं।

चर्चा में कहा गया कि एनजीटी के निर्देश के मुताबिक पानी का टीडीएस स्तर 500 से 700 तक होने की स्थिति में आरओ का प्रयोग करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आरओ पानी से आवश्यक खनिजों को भी बाहर कर देता है जो शरीर के लिए जरूरी है। आरओ का इस्तेमाल तभी जरूरी है जब पीने के पानी का टीडीएस स्तर 1000 से लेकर 1200 तक हो।

कोरोना संक्रमण के दौरान इसके लक्षणों, परेशानियों, उपचार के लिए किए गए उपायों, खानपान व अन्य सावधानियों के बारे में पूछे गए डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान के सवाल पर अमित सिंह ने बताया कि गत मार्च के महीने में एक विवाह समारोह से लौटने पर उन्हें कोरोना संक्रमित होने का पता चला। बुखार होने पर पहले वायरस का संदेह हुआ और उसकी दवाई खाई। पेरासिटामोल लेने पर बुखार तो ठीक हो गया, लेकिन फिर खांसी की शिकायत शुरू हो गई। सांस चढ़ने लगी तो कोविड टेस्ट कराया जिसमें पॉजिटिव निकला।

अमित सिंह ने कहा कोरोना का फिर से लौटना और इसके तेजी से बढ़ते मामले चिंता का विषय जरूर हैं, लेकिन सकारात्मक रहकर और कुछ घरेलू उपायों से इस बीमारी पर विजय प्राप्त की जा सकती है। कोरोना भी एक प्रकार का फ्लू ही है। उचित खानपान, पर्याप्त आराम और योग – प्राणायाम के नियमित अभ्यास से इससे इसके साथ प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता है ।

अमित सिंह ने बताया कि कोरोना पॉजिटिव घोषित होने पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक पैकेट उन्हें दिया गया जिसमें काढ़े का सामान था। उन्होंने बताया कि कोरोना हो जाने पर पीड़ितों को पर्याप्त खुराक लेनी चाहिए और विटामिन सी का ज्यादा से ज्यादा सेवन करना चाहिए जैसे संतरा, मौसमी, नींबू आदि का जूस और नारियल पानी, किवी, ओ.आर.एस. आदि। इसके अलावा गर्म पानी, गिलोय और भाप का भी सेवन नियमित रूप से अवश्य करना चाहिए।

अमित सिंह ने कहा कि कोरोना से जूझने की प्रक्रिया में आयुर्वेद अत्यंत प्रभावी है। अदरक, तुलसी, लौंग, काली मिर्च व दालचीनी युक्त गर्म पानी का भाप लेने के अलावा विटामिन डी और विटामिन बी कॉन्प्लेक्स का सेवन भी फायदेमंद होगा। अमित सिंह ने बताया कि कोरोना वैक्सीन दरअसल मरा हुआ कोरोना वायरस ही है जो मनुष्य के शरीर में बीमारी से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज या प्रतिरोधक क्षमता विकसित करता है। अतः यह वैक्सीन सबको लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना एक दूसरे के संपर्क में आने से फैलता है, अतः सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अवश्य करें।

चर्चा के दौरान एक श्रोता के सवाल का जवाब देते हुए अमित सिंह ने कहा कि गर्मी के मौसम में भी गर्म पानी का यथासंभव इस्तेमाल करना जरूरी है। उन्होंने मस्तिष्क में नकारात्मक विचार न लाने पर जोर दिया और इसके लिए टीवी की नकारात्मक खबरें ना देखने की सलाह भी दी। उनके अनुसार यह मानसिक अवसाद पैदा कर सकता है।

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दिल दियां गल्लां

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कार्यक्रम : दिल दियां गल्लां
समय : प्रातः 11:00 बजे
कार्यक्रम संचालक : आर. जे. माही
प्रसारण मोड : दैनिक

दिल दियां गल्लां एक पंजाबी कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम को आप रेडियो ग्रामोदय 90.4 एफएम पर प्रतिदिन प्रातः 11:00 बजे से 12:00 बजे तक आर. जे. माही के साथ सुन सकते हैं। इस कार्यक्रम में आर. जे. माही ऐसे विषयों पर बात करती हैं जो आपके दिल से जुड़े होते हैं। आर. जे. माही आपके साथ करती हैं बातें जो आपको हँसाती हैं, गुदगुदाती हैं और अच्छी यादों में ले जाती हैं। कार्यक्रम में आपको बहुत ही प्यारे पंजाबी गाने भी सुनने को मिलते हैं। इस कार्यक्रम में आप भी अपनी फरमाइश भेज सकते हैं ।

कार्यक्रम मैं अपनी फरमाइश या अपना कोई भी सुझाव आदि भेजने के लिए आप हमें कॉल कर सकते हैं। आप हमें व्हाट्सएप कर सकते हैं । हमारा नंबर है 8816904904

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पाकिस्तान पर स्पष्ट थे डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के विचार

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जिहादी सोच से निपटने में बाबा साहेब के विचार आज भी प्रासंगिक : डॉ. सी.पी. सिंह

करनाल। भारत विभाजन के समय गांधी ने अगर डॉ. भीमराव अंबेडकर की मांग मान ली होती तो देश संभवत: आज इस्लामी आतंकवाद की समस्या से न जूझ रहा होता। इस्लामिक आतंकवाद और अलगाववाद के सन्दर्भ में बाबा साहेब के विचार आज भी प्रासंगिक हैं। डॉ. अम्बेडकर की दूरदर्शिता इस बात से प्रमाणित होती है कि आज जो हो रहा है, उसकी कल्पना उन्होंने अपने जीवन काल में कर ली थी। यह मानना है प्रसिद्ध शिक्षा शास्त्री डॉ. सी. पी. सिंह का। अंबेडकर जयंती के अवसर पर रेडियो ग्रामोदय पर आयोजित वेकअप करनाल कार्यक्रम में वह वीरवार को डॉ . वीरेंद्र सिंह चौहान से रूबरू थे।

कार्यक्रम के दौरान स्वतंत्रता संग्राम में गांधी , नेहरू, पटेल व अंबेडकर समेत अन्य नेताओं की भूमिका, भारत विभाजन, अनुच्छेद 370 व गांधी से अंबेडकर के गंभीर मतभेदों सहित कई अन्य मुद्दों पर डॉ. चौहान द्वारा पूछे गए सवालों का डॉ. सी. पी. सिंह ने बड़ी बेबाकी और संजीदगी से जवाब दिया और अपनी राय रखी।

विभाजन के समय महात्मा गांधी से हुए गंभीर मतभेदों पर डॉ. चौहान द्वारा पूछे गए सवाल पर डॉ.सी.पी. सिंह ने डॉ. अंबेडकर की पुस्तक ‘थॉट्स ऑन पाकिस्तान’ का हवाला देते हुए कहा कि अंबेडकर मानते थे कि इस्लाम में अन्य मतों या मतावलंबियों के लिए कोई स्थान नहीं है। वह अन्य उपासना पद्धति की इजाजत नहीं देता। इसलिए जब धर्म के आधार पर भारत का विभाजन हो तो नवगठित इस्लामिक देश पाकिस्तान में कोई गैर मुस्लिम न रहे और भारत में भी कोई मुस्लिम न रहे। ऐसा ना होने पर देश जिहादी सोच से मुक्त नहीं रह पाएगा और विभाजन की परिस्थितियां भविष्य में भी पैदा हो सकती हैं। डॉ. सी.पी. सिंह ने पाकिस्तान के पहले हिंदू कानून मंत्री डॉ. जोगेंद्र नाथ मंडल का हवाला देते हुए कहा कि पाकिस्तान से उन्हें अपनी जान बचाकर भागना पड़ा था और उनकी यहां गुमनामी में मौत हुई। उन्होंने कहा कि अंबेडकर जानते थे कि मुस्लिम देश पाकिस्तान में हिंदुओं के लिए अपनी पहचान बचा कर रखना मुश्किल होगा।

डॉ. सी. पी. सिंह ने कहा कि अंबेडकर के गांधी और नेहरू से गंभीर वैचारिक मतभेद थे। जम्मू कश्मीर में धारा 370 लगाने के मुद्दे पर भी अंबेडकर ने अपने कानून मंत्री रहते इसमें सहयोग करने से साफ इनकार कर दिया था और इसे एक राष्ट्र विरोधी कृत्य बताया था। डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान के एक सवाल पर डॉ. सी.पी. सिंह ने कहा कि अंग्रेज चाहते थे कि भारतीय मानसिक रूप से उनके गुलाम बने रहें और इस साजिश के तहत उन्होंने कई किताबें लिखी। उन्होंने दलितों को गुमराह करने का प्रयास किया जिससे काफी हद तक अंबेडकर भी प्रभावित हुए। डॉ. सी.पी. सिंह ने कहा कि इस्लाम के प्रति अपनी स्पष्ट सोच के कारण ही अंबेडकर ने इस्लाम और ईसाई धर्म के बजाय बौद्ध धर्म को अपनाया जो वास्तव में सनातन धर्म की ही शाखा है। डॉ. सी.पी. सिंह ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस के कारण अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाना पड़ा। गांधी सोचते थे कि वह अंग्रेजों से बिना सीधी लड़ाई लड़े भी उन्हें देश छोड़ने पर मजबूर कर देंगे। चर्चा के दौरान डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि अंबेडकर के गांधी से मतभेद इतने गहरे थे कि बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में अंबेडकर ने उन्हें महात्मा और दलित हितैषी मानने से भी इंकार कर दिया था।

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दशम गुरु गोबिंद सिंह ने क्षत्रिय तेज को फिर से जगाया : डॉ. चौहान

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करनाल। खालसा पंथ की स्थापना करते हुए दशमेश पिता श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने एक साथ कई सामाजिक रूढ़ियों पर आघात किया था। उनका मक़सद भारतीय समाज में कमज़ोर पड़ गए संघर्ष के सामर्थ्य अर्थात क्षात्र तेज़ को नए सिरे से प्रबल कर समाज को उस दौर के कट्टर और धर्मांध शासकों का मुक़ाबला करने में सक्षम बनाना था। हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष और निदेशक डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने भारतीय नूतन वर्ष व खालसा पंथ के स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में यह टिप्पणी की।

रेडियो ग्रामोदय के इस विशेष कार्यक्रम में अतिथियों व श्रोताओं से रूबरू डॉ. चौहान ने कहा कि खालसा बनने के लिए जो लोग आगे आए उसमें समाज की विभिन्न जातियों और देश के विभिन्न हिस्सों के लोग थे। हम यह कह सकते हैं कि ख़ालसा सजाने की प्रक्रिया में श्री गुरु गोबिंद सिंह ने सब को साथ लिया। गुरु नानक खालसा कॉलेज करनाल के प्राचार्य डॉ. मेजर सिंह और राजकीय महाविद्यालय अम्बाला कैंट में इतिहास के प्राध्यापक डॉ. अतुल यादव ने इस कार्यक्रम में बतौर विशेषज्ञ खालसा पंथ की स्थापना और जलियांवाला बाग़ नरसंहार के समय की परिस्थितियों पर विस्तार से चर्चा की।

डॉ. मेजर सिंह ने कहा कि ख़ालसा का अर्थ है सब प्रकार से शुद्ध आचरण करने वाला व्यक्ति। उन्होंने कहा कि श्री गुरु गोबिंद सिंह जो अपने अनुयाइयों से करवाना चाहते थे उसे स्वयं करके अपने आचरण से सिद्ध करते थे। उन्होंने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह अद्भुत शस्त्रधारी थे तो शास्त्र और साहित्य के निष्णात विद्वान भी थे। एक ही शख़्सियत के भीतर यह सारे गुण विरले ही मिला करते हैं।

बक़ौल डॉ. अतुल यादव जलियांवाला बाग़ में अंग्रेजों ने जिस जघन्य नरसंहार को अंजाम दिया उसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की दिशा बदल डाली। अनेक युवा क्रांतिकारी इस घटना के बाद क्रांति की राह पर निकले और उन्होंने आज़ादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि स्वाधीनता संग्राम में क्रांतिकारियों की भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता।

पाठ्यक्रमों में भारतीय महापुरुषों की बलिदान गाथा शामिल हो

रेडियो ग्रामोदय के कार्यक्रम में शामिल तीनों शिक्षाशास्त्री इस बात पर सहमत थे कि हमारे स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रमों में भारतीय महापुरुषों के संघर्ष और बलिदान के किस्से कायदे से नहीं पढ़ाए जा रहे। उन्होंने माना कि इस दृष्टि से पाठ्यक्रम में बदलाव समय की आवश्यकता है। हरियाणा ग्रंथ अकादमी उपाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने इस संबंध में कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति शिक्षा और पाठ्यक्रम को भारत केंद्रित बनाने की वकालत करती है। पाठ्यक्रम में परिवर्तन का रास्ता इसी नीति परिवर्तन से निकलेगा और यह कार्य आने वाले कुछ वर्षों में देश के शैक्षिक नेतृत्व को संजीदगी और सावधानी के साथ करना पड़ेगा।

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आयुष्मान पखवाड़ा : जिले में 30,000 नए कार्ड बने : डॉ. चौहान

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नोडल अधिकारी डॉ सरोज ने किया शंकाओं का समाधान, लाभ पात्रों से पैसा नहीं मांग सकते अस्पताल

आयुष्मान भारत एक परिवार को एक साल में 5 लाख रुपए तक की स्वास्थ्य सेवाएं मुफ्त उपलब्ध कराने की योजना है। विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना में अब तक करनाल जिले में सबसे अधिक कुल 45 अस्पताल इंपैनल्ड है जिनमें 9 सरकारी व शेष प्राइवेट हैं। आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत करनाल जिले में अभी तक 25 करोड़ रूपए की सहायता मरीजों को दी जा चुकी है। रेडियो ग्रामोदय के वेकअप करनाल कार्यक्रम में आयुष्मान योजना संबंधी विशेष अंक में हरियाणा ग्रंथ अकादमी उपाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान व करनाल जिले की आयुष्मान योजना की नोडल अधिकारी डॉ सरोज बाला के मध्य हुई वार्ता में यह तथ्य उभर कर सामने आए।

इस अवसर पर ग्रन्थ अकादमी उपाध्यक्ष ने कहा कि 31 अप्रैल तक चलने वाले विशेष अभियान में वे सभी परिवार अपना आयुष्मान कार्ड बनवा सकते हैं जो 2011 के सर्वेक्षण में पात्रता के अनुसार सूचीबद्ध हो गए थे किंतु अभी तक किसी भी कारण से अपना आधार कार्ड नहीं बनवा पाए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि 2011 के सर्वे में सूचीबद्ध परिवारों के वह सदस्य भी अपने आयुष्मान कार्ड बनवा सकते हैं जो 2011 के बाद पैदा या विवाहित होकर उस परिवार के सदस्य बने हैं ।

रादौर से अमित कंबोज ने कार्ड न बनने और लिस्ट में कुछ लोगों के छूटने का मुद्दा उठाया जिस के उत्तर में डॉ. सरोज ने कहा कि 2011 में निर्धारित सूची के अनुरूप ही अभी कार्य हो रहा है । 2011 में हुए सर्वे के आधार तैयार सूची में से जिन लोगों का कार्ड बनाना रह गया है उन्हीं लोगों के कार्ड वर्तमान में बन रहे हैं। इस संदर्भ में करनाल जिले की स्थिति स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि 2011 के रिकॉर्ड के अनुसार करनाल जिले में 1 लाख 15 हजार परिवारों के लगभग 5 लाख व्यक्ति आयुष्मान योजना के लाभार्थी हैं जिनमें से अभी तक 2 लाख 20 हजार व्यक्तियों के ही कार्ड बने हैं। बाकी लोग जो शेष बचे हैं उनके लिए विशेष कैंपेन चलाया जा रहा है जिसे अब 31 अप्रैल 2021 तक बढ़ा दिया गया है। इसके अंतर्गत आशा वर्कर व अन्य संबंधित लोग 2011 के रिकॉर्ड की लिस्ट के अनुसार घर घर जाकर बचे हुए लोगों से कार्ड बनवाने के लिए संपर्क कर रहे हैं।

अधिवक्ता राजेश शर्मा के अनेक डॉक्टरों व अस्पतालों द्वारा आयुष्मान योजना अंतर्गत इलाज ना करने या टालमटोल करने संबंधित प्रश्न के जवाब में डॉ. सरोज ने कहा कि आयुष्मान योजना के अंतर्गत लगभग 1450 पैकेज बने हुए हैं। कोई भी एंपेनल्ड हॉस्पिटल या डॉक्टर इन 1450 पैकेज के अंतर्गत इलाज करने से मना नहीं कर सकता। प्राइवेट अस्पताल केवल उन पैकेज के लिए मना कर सकते हैं जो केवल सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए आरक्षित हैं। किसी प्राइवेट अस्पताल द्वारा गैर आरक्षित पैकेज के अंतर्गत इलाज करने से मना करने पर आप संबंधित नोडल अधिकारी से शिकायत कर सकते हैं। करनाल नोडल ऑफिस में ऐसी अनेक समस्याएं व शिकायतें आती हैं जिनका डॉक्टर से बात कर समाधान किया जाता है तथा अगर किसी अस्पताल द्वारा नियम के विपरीत रोगी या उसके परिवार से कुछ राशि चार्ज कर ली जाती है तो उस राशि को अस्पताल द्वारा वापस भी करवाया जाता है।

बल्ला से अंकित द्वारा आयुष्मान भारत योजना में नए लोगों को जोड़ने के लिए नवीन सर्वे के संबंध में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में डॉ. सरोज ने कहा कि अभी ऐसा कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ है।

अकादमी उपाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान द्वारा पूछा गया कि रोगी के अस्पताल पहुंचने पर उसकी आयुष्मान पात्रता की जांच को लेकर कोई स्वचालित प्रणाली है या नहीं ? डॉ. सरोज ने स्पष्ट किया कि ऐसा कोई स्वचालित सिस्टम अभी नहीं है। सामान्यतः रोगी के राशन कार्ड या फैमिली आईडी द्वारा यह जांच अस्पताल में उपस्थित आयुष्मान मित्र द्वारा कर ली जाती है। इसी क्रम में उन्होंने कहा की पीएमजेएवाई पोर्टल पर परिवार पहचान संख्या द्वारा रोगी या उसके परिवार द्वारा खुद भी जांचा जा सकता है कि वह इस योजना का लाभ पात्र है या नहीं।

पानीपत से बलजीत द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में डॉ. सरोज ने कहा कि 2011 के सर्वेक्षण के अनुसार जो परिवार पात्रता सूची में सूचीबद्ध हैं उन परिवारों के सदस्य इंपैनल्ड अस्पतालों में (चाहे सरकारी हो या प्राइवेट) जाकर आयुष्मान कार्ड बनवा सकते हैं। एंपेनल्ड सरकारी अस्पतालों में आयुष्मान मित्र भी सहायता के लिए उपलब्ध हैं। जो लोग अस्पताल ना जाना चाहे या सरकारी अस्पताल से दूर रहते हो वे अटल सेवा केंद्र या आशा वर्कर की सहायता लेकर भी आयुष्मान कार्ड बनवा सकते हैं।

खुखराना से संदीप की शिकायत थी कि प्राइवेट अस्पताल द्वारा उनकी माताजी के फ्रैक्चर के लिए पैसे मांगे गए। डॉ. सरोज बाला ने कहा कि ध्यान रखें आयुष्मान योजना के अंतर्गत पात्रता प्राप्त रोगी व उसके परिवार को अस्पताल को कोई पैसा नहीं देना है। अस्पताल द्वारा ज्यादा खर्चे का हवाला देकर पैसे मांगना भी खर्चे के 5 लाख से ऊपर के ना होने पर गलत है। एक साथ दो ऑपरेशन या दो फ्रैक्चर आदि की दशा में भी मल्टीपल पैकेज की सुविधा भी इस योजना में उपलब्ध है। अस्पताल को सभी पैसे सरकार से ही प्राप्त होंगे । किसी भी दवाब में ना आएं और संबंधित नोडल अधिकारी से संपर्क कर शिकायत करें । अगर अस्पताल को पैसे दे भी दिए हैं तो भी संपर्क करें आपके पास भुगतान के दस्तावेज हैं तो अस्पताल को आपको यह पैसे वापस देने होंगे।

अकादमी उपाध्यक्ष डॉ. वीरेन्द्र सिंह चौहान के आयुष्मान पखवाड़े के दौरान अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने की विभाग की रणनीति के संदर्भ में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में डॉ सरोज ने बताया कि प्रचार हेतु विभिन्न स्थानों पर होर्डिंग आदि तो लगाए ही गए हैं इसके साथ – साथ 15 मार्च तक आयुष्मान वाहन चलाया गया था जो सभी गांवों में पहुंचा था। आयुष्मान वाहन ने जागरूकता तो फैलाई ही थी साथ ही साथ इस वाहन में आयुष्मान मित्र भी था जो कार्ड भी बनाता था। इन सबके अतिरिक्त आशा वर्कर ने घर-घर संपर्क किया और लोगों को उसी गांव के अटल सेवा केंद्र पर कार्ड बनवाने के लिए प्रेरित किया। यहां पर डॉक्टर सरोज ने स्पष्ट किया कि आयुष्मान पखवाड़े के दौरान अटल सेवा केंद्र पर आयुष्मण कार्ड निशुल्क बनाए जा रहे हैं जबकि पहले ₹30 प्रति कार्ड चार्ज लिया जाता था।

इंद्र सिंह द्वारा पीएम लैटर्स में नाम अलग होने के कारण आने वाली परेशानियों के सवाल के जवाब में डॉ. सरोज ने कहा कि 2018 में उन परिवारों को पीएम लैटर्स भेजे गए थे जो इस योजना के पात्र थे। पीएम लैटर व दस्तावेजों में नाम अलग होने पर परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। परिवार के सभी सदस्यों के दस्तावेज राशन कार्ड, आधार कार्ड, परिवार पहचान आईडी आदि लेकर हमारे कार्यालय में संपर्क करें या अपने जिले के नोडल अधिकारी से संपर्क करें। नाम संबंधी सुधार सामान्यतः सभी दस्तावेजों की जांच के आधार पर बिना किसी दिक्कत के हो जाता है।

जाली आयुष्मान कार्ड के संदर्भ में डॉ. सरोज ने बताया कि करनाल जिले में अपेक्षाकृत कम मामले हैं और ऐसे दो अटल सेवा केंद्र संचालकों को सजा भी दी गई है।

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