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महाराणा प्रताप जयंती और अंतर्राष्ट्रीय मातृ दिवस पर ऑनलाइन कवि गोष्ठी
पंचकूला । वो माँ ही है जो अपनी परवरिश से एक बालक को महाराणा प्रताप या छत्रपति शिवाजी जैसा गुणवान और राष्ट्रभक्त बना देती है। हरियाणा ग्रन्थ अकादमी और रेडियो ग्रामोदय के संयुक्त तत्वावधान में महाराणा प्रताप जयंती और अंतर्राष्ट्रीय मातृ दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कवि गोष्ठी में अकादमी उपाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने यह विचार प्रकट किए । डॉक्टर चौहान ने कहा कि महाराणा प्रताप जयंती पर सब माताएँ संकल्प लें कि वे अपने अपने घर आंगन का ‘सेल्फ़ ऑडिट’ या आत्म समीक्षा करके यह जानने का प्रयास करेंगी कि क्या उनके द्वारा अपने बच्चों को महाराणा प्रताप, गुरु गोविंद सिंह, छत्रपति शिवाजी और शहीद भगत सिंह आदि के जीवन के बारे में बताया और समझाया जा रहा है।
ऑनलाइन कवि गोष्ठी का संचालन कवयित्री नीलम त्रिखा ने किया। कवि गोष्ठी में नीरजा शर्मा, मणि शर्मा “मनु”, अलका शर्मा, नीरू मित्तल, निशा वर्मा आदि रचनाकारों ने भाग लिया। शक्ति और प्रेमस्वरूप माँ और महाराणा प्रताप को याद करते हुए सभी ने अपनी रचनाओं को प्रस्तुत किया ।
महाराणा प्रताप के जीवन से प्रेरणा लेने और राष्ट्र धर्म के अनुपालन के संकल्प को ग्रंथ अकादमी उपाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने कुछ यूँ अभिव्यक्त किया –
“हल्दी घाटी के पीताम्बर पर जिस ने लोहित रंग भरा
जिसकी केसरी छटा देख काँपा करता मुग़लिया हरा
जिसकी मुट्ठी में सदा रहा स्वातंत्र्य सूत्र का एक सिरा
मेरा आशय प्रताप से है, जो घिरा बहुत पर नहीं गिरा
जिसने स्वराज के बदले में अपना सुख वैभव नहीं वरा
हम उस प्रताप के वंशज हैं जो पराक्रमी था निरा खरा
जिसने परकीय दासता को, बोला हम से हट दूर ज़रा
राणा प्रताप के जन्मदिवस पर गर्वित है यह आर्य धरा “
कवियत्री नीलम त्रिखा ने माँ बनकर गौरवान्वित होने के भाव को अपनी रचना के माध्यम से सबके ह्रदय तक पहुंचाया :
“नसीबो वाली मां, मैं नसीबों वाली
मैंने बेटी का धन पाया है
करी कृपा मेरे प्रभु ने, भेज दिया मेरा साया है”
शिक्षक और कवियत्री नीरजा शर्मा ने माँ की महत्ता को अपने शब्दों में कुछ इस प्रकार अभिव्यक्त किया :
“माँ, माँ ……
शब्द छोटा सा, उपमाएँ इतनी
गिनती न हो जितनी”
कवियत्री मणि शर्मा “मनु” ने माँ की तस्वीर अपनी शब्द तूलिका से कुछ इस प्रकार उकेरी –
“मां तू मातृत्व है, व्यक्तित्व है ,अस्तित्व है
मां तू ममता है ,छाया है ,साया है”
कवियत्री अलका शर्मा माँ के व्यक्तित्व की जीवटता को प्रस्तुत करते हुए अपनी रचना में कहा :
“जिंदगी की विपरीत परिस्थिति में हौसले को बढ़ाते हुए,
जो निडरता से पग रखती है, वह “माँ” होती है।”
माँ को शब्द बंधन में बांधना संभव नहीं. यह कहते हुए कवियत्री निशा वर्मा ने बहुत मार्मिक रचना प्रस्तुत की :
“पर माँ किसी परिभाषा में बांधी नहीं जा सकती
माँ को पूरा वर्णित कर सके ,ऐसा तो आखर ही कोई नहीं।”