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वेकअप करनाल में शिक्षा जगत को कोरोना से मिलने वाली चुनौतियों पर चर्चा
करनाल। स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए हरियाणा के सरकारी विद्यालयों को पब्लिक स्कूलों की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। मनोहर लाल खट्टर की सरकार ने प्रदेश के एक हजार से ज्यादा सरकारी स्कूलों को संस्कृति मॉडल स्कूल बनाने का फैसला किया है। सरकारी स्कूलों को संस्कृति मॉडल स्कूलों में परिवर्तित करने के लिए गुणवत्ता के कड़े मानदंड निर्धारित किए गए हैं। इन स्कूलों में पारंपरिक कक्षाओं के साथ-साथ स्मार्ट क्लासरूम भी होंगे। एक कक्षा में अधिकतम 25 से 30 विद्यार्थी ही रखे जाएंगे और प्रत्येक 25 विद्यार्थी के लिए एक शिक्षक तैनात होगा। संस्कृति मॉडल स्कूलों को सीबीएसई से संबद्ध किया गया है और इनमें अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई होगी। इन मॉडल स्कूलों में बुनियादी संसाधन भी अत्याधुनिक एवं उन्नत किस्म के होंगे जिनके लिए बड़े-बड़े स्क्रीन वाले एलईडी मॉनिटर खरीदे गए हैं।
रेडियो ग्रामोदय के वेकअप करनाल कार्यक्रम के दौरान कोरोना से स्कूली शिक्षा को मिलने वाली चुनौतियों पर हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान और राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक मनोज कुमार लाकड़ा के बीच चर्चा के दौरान यह जानकारी उभरकर सामने आई। डॉ. चौहान ने कहा कि कोरोना महामारी ने सामाजिक आचार-व्यवहार से लेकर व्यक्तिगत जीवन शैली तक जीवन के लगभग हर पक्ष को प्रभावित कर दिया है। इससे न सिर्फ मिलने-जुलने का तरीका बदला है, बल्कि पठन-पाठन की व्यवस्था भी बदल गई है। महामारी ने शिक्षा जगत के सामने नई चुनौतियां पेश की हैं। मनोज लाकड़ा ने भी कहा कि कोरोना से शिक्षा का पूरा परिदृश्य ही बदल गया है। शिक्षण व्यवस्था अब तकनीक पर निर्भर हो गई है। बच्चे अब दिनभर कंप्यूटर और मोबाइल के सामने बैठे रहते हैं। पढ़ाई ऑनलाइन होने लगी है। यह बदलाव जरूरी और अपेक्षित भी था, हालांकि इसके कुछ स्याह पक्ष भी हैं।
मनोज ने बताया कि स्मार्ट क्लास के तहत आठवीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों को टेबलेट देने की योजना है जिनमें पाठ्यक्रम (करिकुलम) डाला जाएगा। उन टेबलेट की खरीद हो चुकी है और उनमें सॉफ्टवेयर डालने का काम अभी बाकी है। बच्चों को एक आईडी और पासवर्ड दिया जाएगा जिसके माध्यम से उन्हें होमवर्क दिया जाएगा और उनके काम का मूल्यांकन भी ऑनलाइन ही होगा।