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रेडियो ग्रामोदय के वेकअप करनाल कार्यक्रम में पर्यावरण प्रदूषण पर चर्चा
करनाल। हरियाणा सरकार ने राज्य भर में ऑक्सीवनों की स्थापना व विकास के लिए का फैसला किया है। इस दिशा में पहल करते हुए करनाल में ऑक्सीवन शुरू भी हो चुका है और पंचकूला में भी ऑक्सीवन प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। ऐसा पर्यावरण को स्वच्छ और सांस लेने लायक बनाए रखने के उद्देश्य से किया जा रहा है। एक पेड़ जीवन भर के दौरान करीब 70 लाख का ऑक्सीजन देता है। इसलिए, पौधे जरूर लगाएं और उनका संरक्षण भी करें। जितना पेड़ लगाएंगे, उतना ही पर्यावरण को बचाएंगे। बड़े वृक्षों के संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने अनूठी पेंशन योजना भी शुरू करने का ऐलान किया है जिसके अंतर्गत वयोवृद्ध वृक्षों की संभाल करने वाले व्यक्तियों या संस्थाओं को राज्य सरकार उनकी इस सेवा के एवज़ में पेंशन देगी। रेडियो ग्रामोदय के ‘वेकअप करनाल’ कार्यक्रम में हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के करनाल स्थित क्षेत्रीय अधिकारी शैलेंद्र अरोड़ा से पर्यावरण प्रदूषण पर चर्चा के दौरान हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष एवं भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने की। उन्होंने कहा कि जीव-जंतु, पृथ्वी, जल वायु और मिट्टी आदि मिलकर हमारे पर्यावरण को बनाते हैं। इन प्राकृतिक संसाधनों के आपसी असंतुलन को ही पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं। पर्यावरण प्रदूषण से सबका जीवन खतरे में पड़ सकता है। एक पेड़ एक बच्चे के बराबर होता है। इसलिए उनका भी संरक्षण जरूरी है।
पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले कारकों की पहचान करते हुए शैलेंद्र अरोड़ा ने कहा कि जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, बायो मेडिकल वेस्ट, म्युनिसिपल सॉलि़ड वेस्ट, ई-कचरा, बैटरी का कचरा आदि मिलकर पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले 6 महीने के दौरान प्रदूषण को रोकने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने करनाल में कई कदम उठाए हैं। प्रदूषित जल के शोधन के लिए मल संयंत्रों में ऑनलाइन सिस्टम और नई एसपीआर टेक्नोलॉजी लगाई गई है। उनके पैरामीटर सख्त कर दिए गए हैं जिनका पालन करना अनिवार्य है। इनका पालन न करने वालों पर जुर्माने की राशि का प्रस्ताव दिया गया है। इसके अलावा वाटर एक्ट जिसे जल प्रदूषण नियंत्रण एक्ट 1974 भी कहा जाता है के तहत अवैध रूप से स्थापित उद्योगों के खिलाफ भी विभाग ने कड़ी कार्रवाई की है। ऐसे सात – आठ उद्योगों को बंद भी किया गया है। 1 साल के भीतर वॉटर एक्ट के तहत 9 मामले दर्ज किए गए हैं। स्पेशल एनवायरनमेंट एक्ट के तहत उद्योगों एवं बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई रूटीन की प्रक्रिया है। उन्होंने स्पष्ट किया की गंदा पानी छोड़ने वाले उद्योगों के खिलाफ वाटर एक्ट के तहत करवाई होती है। इसके अलावा बिना अनुमति के स्थापित होने वाले उद्योगों के खिलाफ भी कार्यवाही की जाती है।
डॉ. बीरेन्द्र सिंह चौहान ने पूछा कि उद्योग आम तौर पर किस-किस तरह से पर्यावरण संरक्षण के नियमों को तोड़ते हैं? उनके खिलाफ किस तरह की शिकायतें आती हैं? इस पर शैलेंद्र अरोड़ा ने बताया कि जल शोधन संयंत्रों की नियमित चेकिंग की जाती है। इस दौरान जहां भी छेड़छाड़ पाई जाती है वहां उन्हें नोटिस देकर कार्रवाई की जाती है। इतने पर भी ना मानने पर उन उद्योगों को बंद कराने की प्रक्रिया शुरू होती है और उन पर पर्यावरण कंपनसेशन भी लगाया जाता है।
एडवोकेट राजेश शर्मा ने शिकायत की कि करनाल क्षेत्र में कई उद्योगों ने बिना अनुमति के सबमर्सिबल पंप लगा रखे हैं। इस पर शैलेंद्र अरोड़ा ने बताया कि कुछ उद्योग प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकार क्षेत्र में आते हैं और कुछ उद्योग नगर निगम के दायरे में। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दायरे में आने वाले उद्योगों से ऑनलाइन आवेदन मांगे जाते हैं। उनकी निगरानी के लिए एक मॉनिटरिंग कमेटी होती है। जो उद्योग नियमों का पालन नहीं करते, उन पर कार्रवाई होती है।
इस अवसर पर डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने केंद्र सरकार की नई पहल के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व पर्यावरण दिवस पर घोषणा की है की वर्ष 2025 तक देश की हर स्थान पर पेट्रोल में 20% एथेनॉल मिलाने की व्यवस्था की जाएगी। केंद्र सरकार का ग्रीन एनर्जी पर जोर है। सौर ऊर्जा के मामले में भारत विश्व नेता बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने पूछा कि करनाल शहर की हवा राज्य के अन्य शहरों के मुकाबले पर्यावरण की दृष्टि से कितनी प्रदूषित है? इस पर शैलेंद्र अरोड़ा ने बताया कि 2 दिन का डाटा एयर क्वालिटी इंडेक्स (ए क्यू आई) के मानकों के अनुसार 54 और 73 के आसपास था। उन्होंने बताया कि करनाल का ए क्यू आई कुरुक्षेत्र के मुकाबले बेहतर है।
हरियाणा के ग्रामीण अंचल में पर्यावरण से जुड़े मसले और बड़ी चुनौतियां क्या हैं? डॉ चौहान के इस सवाल पर अरोड़ा ने कहा कि गांव में सीवरेज सिस्टम का ना होना एक बड़ी चुनौती है। स्मार्ट सिटी के लिहाज से पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए शहर में काम शुरू हुआ है। इसके तहत ट्री-प्लांटेशन और रोड क्लीनिंग की जा रही है।
कई जगह लग रहे सॉलिड वेस्ट प्लांट
शैलेंद्र अरोड़ा ने बताया की कचरा निस्तारण के लिए करनाल में एक सॉलिड वेस्ट प्लांट पहले से कार्यरत है। इसके अलावा सोनीपत में भी एक प्लांट का निर्माण हो रहा है। असंध क्षेत्र में भी एक बहुत बड़ा प्लांट लगने वाला है। पंचायती राज विभाग ने 35 छोटे-छोटे प्रोजेक्ट का प्रस्ताव सरकार को भेज रखा है। अन्य जगहों पर डंपिंग ग्राउंड मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि करनाल जिले के जल स्रोतों में यमुनानगर का औद्योगिक कचरा मिलने के संबंध में यमुनानगर के संबंधित अधिकारियों से औपचारिक शिकायत कर इसे रोकने के लिए कदम उठाने के लिए कहा गया है। इस सिलसिले में 6 महीने पहले भी दोनों जिलों के अधिकारियों के बीच पत्राचार हुआ था। शैलेंद्र अरोड़ा ने गीले और सूखे कचरे को घर में ही अलग-अलग करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि इससे कूड़ा निस्तारण की प्रक्रिया आसान हो जाती है।